Sunday, August 23, 2009

रिहाई

आज जब पेपर उठाया तो देखा आठ लोगो पर अपनी कार चङाने वाले .अच्छे आच्ररण के कारण समय के पहले ही रिहा हो रहे है ,उनका चमकता हुआ चहरा मुस्करा रहा था,बहन और माता भी पास खड़ी थी ,मीडिया मैं काफ़ी खीचा तानी मची हुई थी सभी लोग एक झलक पाने के लिए बेकरार थे,कुचले गया लोगो की शायद स्मृति भी कुचल गई है उनके पास पैसा पोस्ट का जैक जो नही था हाँ एक सुंदर चिकना चमकदार चेहरा भी तो न था ,जो चेनलो की टी आर पी को बढाता.मरने वाले साधारण लोग थे ,इतना ज़िक्र भी शायद इस लिए हो गया है kयोंकि गाड़ी चलने वाला था एक आमीर नहीं तो हर रोज़ पहियों के नीचे हजारो लोग आते है ,उनकी लाश तक उठाने के पैसे मांगे जाते हैं ?????

3 comments:

  1. अनु डियर छा गए ..मज्ज्ज्ज़ा आ गया !!!
    Wonderful indeed !!!

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  2. baat to aapne badhiya likhi hai....bas thodi-si galtiyaan rah gayin hain...asha hai aage sudhar jayengi....shubhkamnaaon ke sang...

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  3. aap sabhi ka dhanyvad aapki shubhkamnaye hardya se swikar

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