Friday, August 21, 2009

स्लम डॉग से हमको क्या मिला, कुछ उपहास, कुछ सहानुभूति ,कही हमदर्दी के दो बोल , हाँ कई लोग अमीर, हो गए ,पर स्लम के डॉग वहीं के वहीं रह गए हैं ,अभी तक नल के आगे खड़े हैं ,पानी की दो बूंदों के लिए टकटकी लगाये,मीडिया आता है फ्लैश चमकते है फ़िर वही बल्ब की टिमटिमाती रोशनी ;रेड कारपेट ,एक भरे पेट आया सपना सा लगता है , सबमें एक होड़ सी लगी हैं , कितने नोट कमा सकते हैं इन भोली मुस्कानों का कितना फायदा उठा सकते हैं ,स्टिंग ऑपरेशन मैं रूबीना का बोल लगता हैं,आमिर का परिवार टपकती छ्त के नीचे सोता है एक चमकती साइकिल आमिर के पास आ गई है जिसको वो कूङो के पहाडो पर दोड़ता है ,कभी विदेशी तो कभी भारितीय मीडिया झुंड बना कर आता है ,स्लम डोगो का झुंड उसी कूड़े मे पा कर खुश हो जाता है

1 comment:

  1. अनु जी

    ये हो क्या रहा है ....?
    आप तो सरपट दौड़ने लगे ....
    Wonderful n keep writing !!

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