Thursday, August 20, 2009

पुष्प

खुलती हुई पंखुडियां गुनगुनाती हैं
उजले से रंगों के साथ अनेकों गीत गातीं हैं
ओस की बूंदों से नहाकर कभी मुस्कुराती हैं
तो कभी हवा के झोंकों से सिहर जाती हैं

1 comment:

  1. ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है अनु जी ..

    शब्द चुनाव अति सुन्दर है व फूल की पंखुडियों की गुनगुनाहट लिए सुन्दर अभिव्यक्ति !!

    लिखें और खूब लिखे इसी शुभकामनाओं के साथ
    बधाई !!!!

    ReplyDelete