Monday, September 14, 2009

जहाँ होता है उपहास का प्रहार ,हो जाते है वहाँ बड़े बड़े सूरमाओ के दिल तार तार, लोग व्यंग वाण बोल मुस्कुराते है ,आप घायल पंछी की तरह अपना दिल फडफडाते है , जिसके हाथ में है उपहास की तलवार ,वह जब चाहे कर दे किसी पर कैसा भी वार , आप चाहे हो कितने भी बड़े ज्ञानी , उपहासी की कुटिल भंगिमा के आगे आप भरेंगे कोटि कोटि पानी ,कंही वह मेरी हँसी तो नही उडाएगा , उपहासी के सामने बार बार यह ख्याल आपको डगमगायेगा ,आपका बचा खुचा आतामविशवास खीझ कर और भी गिर जायगा ,आपकी यू पतली हालत देख ,उपहासी का कटाक्ष और भी कटीला हो जायगा ,द्रोपोदी के कटाक्ष ने करा दी महाभारत की मारामारी , इन उपहासको के आगे है सारी दुनिया हारी

4 comments:

  1. Hiiii
    Dil se nikali ye ahh,samajh saktey hain hum ye dost....

    Kalam se to jaise jaduu baras raha hai

    Amazing writeup Anu !!!

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  2. कौन रोता है किसी और की खातिर ऐ दोस्त,
    सबको अपनी ही किसी बात पर रोना आया.
    तो अन्नू जी,
    यह उपहास इत्यादि उन स्वयम के लिये ही होते है.वे वास्तव मे खुद का ही परिचय दे रहे होते है.

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